पिथौरागढ़: इमरजेंसी में भर्ती न करने से बीमार बच्ची को हुई मौत। बच्ची के इलाज के लिए लाइन में लगवाया गया, नंबर आने से पहले ही बच्ची ने तोडा दम।
उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा है। डॉक्टर अभी भी गंभीर रूप से बीमार मरीजों को ठीक से नहीं देखते। गोद में बच्ची को लिए ये शख्स अस्पताल के बाहर रोता रहा। गंभीर रूप से बीमार बच्ची को इमरजेंसी में भर्ती न करने की शिकायत की गई है। बच्ची के इलाज के लिए लाइन में लगवाया गया, जो इतनी लंबी थी कि नंबर आने से पहले ही बच्ची की मौत हो गई।
पहाड़ के हॉस्पिटलों में डॉक्टर नहीं होने से पता नहीं ऐसे कितनी मौतें हो जाती हैं, आखिर जिम्मेदार कौन??
स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत जी कहते है प्रदेश के सभी जिलों के अस्पतालों की खामियों को 100 दिन के भीतर दूर कर दिया जाएगा। मंत्री जी हर कही ये कहते नजर आते है पहाड़ के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए विशेष सुविधा दी जा रही है।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक