हेलंग में गर्माया चारा पत्ती विवाद, पहाड़ से लेकर मैदान तक हुआ विरोध, जांच के आदेश के बाद क्या तथ्य निकले यहां देखिये…

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जोशीमठ के हेलंग में महिलाओं से चारा पत्ती छीनने के मामले में नहीं थम रहा विवाद, जांच के आदेश के बाद क्या कुछ तथ्य निकलकर सामने आए है..

चमोली जनपद के हेलांग घाटी में जंगल से घास लाती महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के मामले में नया मोड़ आ गया है, जिसको लेकर लगता है कि जो जांच गढ़वाल कमिश्नर के नेतृत्व में चल रही है,उससे कहीं ना कहीं उन महिलाओं के हक में फैसला आने की उम्मीद है,जिनको थाने में बिठाकर घास काटने के जुर्म में चालन तक काट दिया  था..

उत्तराखंड की सीधी-साधी महिलाओं को भी नहीं मालूम था कि उन्हें घास काटने और ले जाने की ये कीमत चुकानी पड़ेगी. भले ही पुलिस ने सभी महिलाओं से 250 रुपए का चालान भरवा कर छोड़ दिया हो, लेकिन ये घटना पहाड़ में किसी भी लिहाज से सही नहीं ठहराई जा सकती है,

चमोली जिले के हेलाँग घाटी में जंगल से घास लाती महिला के साथ दुर्व्यवहार के मामले ने जब खूब तूल पकड़ा,तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मामले में जांच तक बिठानी पड़ी, गढ़वाल कमिश्नर के नेतृत्व में पूरे मामले की जांच चल रही है, शुरुआती जांच में कुछ तथ्य भी निकल कर सामने आए, गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार का कहना है कि अपर जिलाधिकारी चमोली पूरे मामले की जांच कर रहे हैं, और प्रभावित परिवार से भी उन्होंने मुलाकात की है, कुछ बातें महिलाओं के मन में है जो उन्होंने अपर जिलाधिकारी को बताइए, लेकिन सबसे बड़ी और अहम बात जो गढ़वाल कमिश्नर ने कही है वह यह कई है कि पर्वतीय क्षेत्रों में जो पारंपरिक अधिकार पहाड़ में रहने वाले लोगों को मिले हैं, उनको यथावत रखने की सिफारिश भी इस जांच रिपोर्ट में की जाएगी। यानी गढ़वाल कमिश्नर के इस बयान से साफ होता है कि महिलाओं के साथ जंगल से घास लाने के बाद जिस तरीके से छीना झपटी की जा रही थी वह पूरी तरीके से गलत थी साथ ही जो चालन उनका काटा गया उसका कोई औचित्य ही नहीं बनता था क्योंकि पहाड़ के लोगों के लिए यह पारंपरिक अधिकार है कि वह जंगल से घास लाए।

गढ़वाल कमिश्नर इस पूरे मामले की जांच कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पूरे मामले में एक नया मोड़ आया है,जिसके तहत घास काटने वाली महिला ने टीएचडीसी के खिलाफ एक शिकायती पत्र दिया था, जिसमें उन्होंने बिना अनुमति के टीएचडीसी के द्वारा पेड़ काटने के आरोप लगाए थे, जिसका संज्ञान वन विभाग के द्वारा लिया गया है,और वन विभाग ने टीएचडीसी को नोटिस भी जारी कर दिया है,माना जा रहा है कि इससे टीएचडीसी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, तो वहीं गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार का कहना है कि पेड़ काटने के लिए नियम तय किए गए और उसी के तहत पेड़ काटने के लिए परमिशन की आवश्यकता होती है, इसलिए अब सभी पहलुओं की विस्तार से जांच की जा रही है,और जो भी निष्कर्ष जांच के बाद लिया जाएगा उसके तहत ही कार्यवाही भी की जाएगी।

पूरे मामले में अभी तक जिस तरीके से वन विभाग ने महिला की शिकायत पर टीएचडीसी को बिना पेड़ काटने की परमिशन को लेकर नोटिस भेज दिया है, तो वही गढ़वाल कमिश्नर जो साफ तौर से कह चुके हैं,कि पर्वतीय क्षेत्रों में जो पारंपरिक अधिकार मिले हैं, उनके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी, और उन्हें यथावत रखा जाएगा, जिससे साफ तौर से कहा जा सकता है कि जिस हक को दिलाने के लिए उत्तराखंड में आवाज महिला के लिए उठ रही थी वह सरकार के द्वारा जांच कमेटी भी सिफारिश करने वाली है,जिससे महिला को न्याय मिलने की भी उम्मीद है।

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