बड़े मकान बनाने का सपना”शहीद” मनदीप का रहा अधूरा, हम पहाडियों कू बडो मकान बण्दु कख, कभी पैर पगार कभी देव कू उधार,

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●नरेंद्र पिमोली dehradun●

मनदीप ने कहा था मां गांव में हम सबसे बड़ा मकान बनाएंगे कमजोर आर्थिक स्थिति में पले बढ़े मंदिर ने माता-पिता को बेहतर जिंदगी देने का वादा किया था

जिम्मेदारियां भी इस कदर बच्चों को वक्त से पहले बड़ा बना देती है ग्रामसभा सकलोनी निवासी मनदीप सिंह नेगी की छोटी सी जिंदगी पर इसका अंदाजा स्वयं नही लगाया जा सकता है, कमजोर आर्थिक स्थिति में पले बढ़े, जब सेना में भर्ती हुए तो उनकी आंखों में मां-बाप के लिए बड़ा घर बनाने का मनदीप ने सपना संजोया था, जब भी वह अपने मां को फोन पर बात करते तो हमेशा बोलते थे मां गांव में हमारा सबसे बड़ा घर होगा, लेकिन जिस तेजी की बदौलत मां बाप ने बेहतर जीवन का सपना देखा था, मनदीप की मां हेमंती देवी बताती है, कि सेना में भर्ती होने के बाद जब मनदीप पहली बार घर आया तो उसने अपने पिता को मजदूरी करने से साफ मना कर दिया था, कहा कि अब मैं आपको ढेर सारा पैसे भेजूंगा, साथ मां के लिए बड़ा घर बनाने की बात हमेशा फोन में करता था सगाई के बाद मनदीप जब भी फोन करता हमेशा शादी की तैयारियों पर चर्चा करता था,

नाते रिश्तेदारों व अन्य ग्रामीण किसी तरह उन्हें पुत्र की अंतिम दर्शन करवाने लाये तो मानो की पिता के ऊपर पहाड़ टूट के आ गया हो, सामने  बेटे  का शव पड़ा था और पिता परछाई मैं आंखों से दे इस उम्मीद से निहारते देख रहे थे कि बेटा खड़ा उठेगा लेकिन ऐसा नही हुआ, वही पिता बेटे के शव को देखकर  बेशुद्ध होकर जमीन पर गिर पड़े ,जिसे देखकर  किसी तरह लोगों ने उन्हें घर के भीतर ले गए, आज जो बेटे ने अपने परिवार के लिए सपने संजोये थे वह सपने एक ही दिन में खत्म हो गए , अब पिता के लिए सिर्फ बेटे की यादें जिंदा रह गई ।।

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