कल्पना की कलम से कल्पनाओ_की_दस्तक,●क्या कह रही पिथौरागड़ की बेटी,कल्पना ●आप भी पड़े….

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देवस्थानम यानि ललाट पर सजने वाले तिलक को हिंदू संस्कृति की पहचान माना जाता हैं, तिलक हमारे आत्मविश्वास आत्मबल को बढ़ाता हैं। तिलक के द्वारा यह भी जाना जा सकता है कि आप किस विशेष सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखते हैं. इससे स्वास्थ्य उत्तम होता है. मन को एकाग्र और शांत होने में मदद मिलती है, साथ ही ग्रहों की उर्जा संतुलित हो पाती है और भाग्य विशेष रूप से मदद करने लगता है। ऋषि-मुनियों ने कहा है कि रोज तिलक लगाने से पीनियल ग्रंथि के उद्दीपन से आज्ञाचक्र का उद्दीपन होगा आज्ञाचक्र पर ध्यान केंद्रित करने पर भी साधक को पूर्ण शक्ति का आभास होने लगता है इसे ‘चेतना’ केंद्र भी कहते हैं। सम्पूर्ण ज्ञान तथा चेतना का संचालक इसी ग्रंथि से होता है। ‘आज्ञाचक्र’ ही तृतीय नेत्र है। इसे दिव्य नेत्र से संबोधित किया जाता है। सभी धार्मिक कर्मकांड, मांगलिक कार्यों और पूजा में तिलक लगाया जाता है। मस्तक पर तिलक लगाना मंगलमयी और शुभकारी होता है। तिलक सात्विकता का सौंदर्य और प्रतीक है। इसीलिए रोज तिलक जरूर लगाएं, अपनें बच्चो को भी लगाए और जितना हो सके हिन्दुत्व सनातन धर्म के बारे में जागरूक करे,

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