यह खबर रोमाचिंत और प्रेरित करती है कि बंगाल में एक बडे राजनीतिक दल ने घरों में काम करने वाली एक महिला को विधानसभा का टिकट दिया

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यह खबर रोमाचिंत और प्रेरित करती है कि बंगाल में एक बडे राजनीतिक दल ने घरों में बर्तन मांजने वाली एक महिला को विधानसभा का टिकट दिया। जीत हार अलग चीज। लेकिन ऐसा होना चाहिए। वरना राजनीति में पैसा परिवार रुतबा इसी का चलन है। आम लोग गरीब लोग जनप्रतिनिधि होने की सोच भी नहीं पाते। मरी शुभकामना इस बहन के लिए है। यह विधायक बने। हालांकि पार्टी ने उनकी लगन पार्टी के प्रति निष्ठा को देखकर टिकट दिया है। बर्तन मांजने के बाद वह पार्टी कार्यक्रमो में हिस्सा लेने जाती थीं।

राजनीति में ऐसे समय जब कार्यकर्ता केवल पोस्टर बिपकाने और सभां में भीड़ इकट्ठठी करने लायक माने जाते हैं एक जमीनी निस्वार्थ कार्यकर्ता को पार्टी ने टिकट देकर अच्छा संकेत दिया है। खासकर पर तब जबकि राजनीति में टिकट बिकने की खबरें आम होती है। इस महिला को टिकट दिया जाना आम लोगों को राजनीति में आने के लिए प्रेरित करेगा। फिर यह नहीं लगेगा कि जिनके ऊपर सुर्खाव के पंख लगे हो वही राजनीति में आएं।
लेकिन एक पक्ष और है। देखा यह भी गया कि कई बार समाज में गरीब कमजोर लोग किसी तरह राजनीति में आते हैं और देखते देखते बडे नेता बन जाते हैँ। और फिर सबसे पहला काम यह करते हैं कि गरीबों को ही भूल जाते हैं। उनके अपने दिन भी याद नहीं रहते । वह हमेशा हर कमाने की जुगत में ही रहते हैं। ऐसे नेता आपकी स्मृतियों में भी होंगे। एक गरीब नेता अगर राजनीके आकाश में छाने के बाद अगर पिछले दिनों को न भूले तो समाज का बहुत उद्धार कर सकता है। वरना तो सातवीं पीढ़ी के लिए भी कमाते रहिए।
उम्मीद है यह बहन जीतेगी और बंगाल के गरीब निर्धन कमजोर लोगो के हित में काम करती रहेगी। अपने पिछले दिनों को नहीं भूलेंगी

वेद विलास उनियाल

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