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#हमारी_सांस्कृतिक_धार्मिक_और_पहाड़ी_धरोहर_की_प्रतीक

आज आपको पहाड़ की एक ऐसी धरोहर की खूबसूरती से रू-ब-रू करवाने की कोशिश करते हैं जो अपने आप में खूबसूरत तो है, हमारी समृद्ध संस्कृति और संपन्न विरासत को भी अपने में समाए हुए है. ये महज एक बर्तन नहीं बल्कि हमारी धरोहर है, जिसे हमारे बुजुर्गों ने हमे सौंपा है. ये अपने में कहावतों को भी समाए हुए हैं, ऐसी ही एक धरोहर है जिसका पहाड़ की रसोई में महत्वपूर्ण स्थान है उसका नाम है ‘#गागर’.

“गागर में सागर” जैसी कहावत को सुनने से प्रतीत होता है कि ये जो गागर है वाकई में कई मायनों में अपने अंदर बहुत सारी खूबसूरती को समेटे हुए है. पहाड़ की संस्कृति और लोक जीवन में अनेकों अनेक रंग हमारी जीवनशैली को, हमारे लोक को दर्शाते हैं, उसमे हमारी आस्था, विश्वास और संस्कृति से गहरा लगाव किसी से छुपा नहीं है.

एक समय था जब लोग पानी भरने घर गांव से लगभग एक या आधा किलोमीटर दूर धारों /मंगरों/पंडेरों से पीने का शुद्ध पानी भरकर लाया करते थे और गांव की बसावट पानी के स्रोत से लगभग दूरी ही हुआ करती थी।

घरेलू काम में सुबह उठकर सबसे पहले ताजा पानी भरना रोज का नियम होता था और ये दिन का सबसे पहला और महत्वपूर्ण काम भी था. गागर में पानी भरकर लाना वो भी कम मुश्किल काम नहीं था पर पहाड़ी जीवनशैली में उतना मुश्किल भी नहीं क्योंकि हम लोग रोजमर्रा की जीवन शैली में इन कामों को आसानी से कर लेते हैं. एक समय वो भी था जब लोग पहाड़ में फिल्टर और आरो जैसी तकनीक से बिल्कुल भी अनजान थे, लोग परिचित थे तो सिर्फ गागर से।
लोगों ने अपनी बसावट के लिए ऐसी जगह का चयन किया रहता था जहां पर 12 महीनों पानी की जलधारा बहती हो, जो कभी दूषित न हो बल्कि मौसम के अनुसार सर्दियों में गरम और गर्मियों में ठंडे पानी की बहने वाली धारा वाले स्रोत होते थे और ऐसे पानी को गागर में भरा जाए तो उसका स्वाद और मीठा हो जाता था।

विवाह संस्कार के सम्पूर्ण होने में भी गागर का विशेष महत्व है. नववधु के आगमन पर धारा पूजने की रस्म और फिर उसी जल स्रोत से तांबे की गागर में जल भरकर घर ले जाना उस गागर के महत्व को बतलाता है. समय बदला है आज तांबे की गागर की जगह प्लास्टिक के गागर नुमा बर्तन भी गाँव में देखे जा सकते हैं।

लोग बेटी को दहेज में गागर तो देते है पर उसके महत्व को समझाने का एक छोटा-सा प्रयास भी कर लें तो आज इस बर्तन की उपयोगिता हमारी रोजमर्रा की जीवनशैली में हो सकती है, जो कि हमारे स्वास्थ्य के हिसाब से बहुत अच्छा साबित हो सकता है।

आज जब पानी की पाइप लाइन ने पानी को घर घर पहुंचा दिया है तो पानी की स्वच्छता और गुणवत्ता में फ़र्क आया है. पानी के स्रोतों की साफ-सफाई न होने से कई बार हम कई तरह की बीमारियों से ग्रसित होते रहते हैं, क्योंकि बहुत सारी बीमारियों का एक ही कारण होता है और वो है दूषित पानी. आज अगर जरूरत है तो वो है पानी के जल स्रोतों को संरक्षण देने की, उनकी स्वच्छता की और गागर की. जिससे एक बार फिर से चरित्रार्थ होती वो कहावत ‘गागर में सागर’ नजर आएगी, वरना आने वाली भावी पीढ़ी गागर और जल स्रोतों की विलुप्तता का जिम्मेदार ठहराने का जिम्मा हम लोगो को माना जाएगा.

Admin Team #तरुण_साँस्कृतिक_कला_मंच_रजि

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